सूर्य नमस्कार || योग के माध्यम से सूर्य को नमस्कार करना || Surya Namaskar || Honoring the Sun through Yoga
सूर्य नमस्कार, जिसे सूर्य नमस्कार के रूप में भी जाना जाता है, योग मुद्राओं का एक शक्तिशाली और पूजनीय क्रम है जो सूर्य को श्रद्धांजलि देता है। यह प्राचीन प्रथा न सिर्फ भौतिक बल्कि आध्यात्मिक महत्व भी रखती है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि , इसके लाभ क्या हैं और इसे कैसे करें।
आइए सबसे पहले समझते हैं कि सूर्य नमस्कार योग क्या है ?
सूर्यनमस्कार एक प्राचीन योग अभ्यास है जो बारह अलग-अलग योग मुद्राओं की एक श्रृंखला का उपयोग करता है ।
प्रत्येक श्वास के साथ संतुलन बनाता है। सूर्योदय के समय, यह क्रम सूर्य की ओर मुख करके अपना आभार व्यक्त करने और उससे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका अभ्यास मन, शरीर और आत्मा के लिए एक सम्पूर्ण अभ्यास बन जाता है, क्योंकि प्रत्येक मुद्रा लाभ का एक विशिष्ट व्यवस्था प्रदान करती है।
इसे कैसे करें ? आइये समझते है।
यहां सूर्य नमस्कार कैसे करें, एक एक कर यहाँ बताया है ।
- प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा)Pranamasana (Prayer Pose):- अपने पैरों को एक साथ मिलाकर अपनी चटाई के सामने खड़े हो जाएं, हथेलियाँ आपके हृदय केंद्र पर प्रार्थना की स्थिति में एक साथ दबी हुई हों। स्वयं को केन्द्रित करने और अपना लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कुछ समय निकालें।
- हस्त उत्तानासन Hastauttanasana (Raised Arms Pose):-श्वास लेते हुए अपनी पीठ को थोड़ा सा झुकाते हुए अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और धीरे से अपने सिर को पीछे झुकाएं और अपनी हथेलियों की ओर देखें।
- हस्तपादासन (हात से पैर की आसन)Hasta Padasana (Hand to Foot Pose):- सांस छोड़ें, अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे की ओर झुकें। अपने हाथों को अपने पैरों के बगल में या जितना करीब आप आराम से पहुँच सकें, फर्श पर लाएँ।
- अश्व संचलानासन (घुड़सवारी मुद्रा)Ashwa Sanchalanasana (Equestrian Pose):- श्वास लेते हुए, अपने दाहिने पैर को पीछे ले जाएं, अपने दाहिने घुटने को फर्श पर लाएं। अपने बाएं घुटने को 90 डिग्री के कोण पर मोड़कर रखें और ऊपर देखें।
- चतुरंग दंडासन (प्लैंक पोज)Dandasana (Plank Pose):- साँस छोड़ते हुए, अपने बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ, तख़्त स्थिति में आ जाएँ। अपने शरीर को सिर से लेकर एड़ी तक एक सीध में रखें।
- अष्टांग नमस्कार (आठ अंगों वाली मुद्रा)Ashtanga Namaskara (Eight-Limbed Pose):- अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए अपने घुटनों, छाती और ठुड्डी को धीरे से फर्श पर टिकाएँ।
- भुजंगासन (कोबरा मुद्रा) Bhujangasana (Cobra Pose):- श्वास लें, आगे की ओर सरकें, और अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखते हुए अपनी छाती को पीछे की ओर हल्के से उठाएं।
- पर्वतासन (पर्वत मुद्रा)Parvatasana (Mountain Pose):- साँस को छोड़ें, अपने कूल्हों को ऊपर उठाएँ और नीचे की ओर कुत्ते की मुद्रा में आ जाएँ, जिससे आपके शरीर के साथ एक उल्टा “V” आकार बन जाए।
- अश्व संचलानासन (घुड़सवारी मुद्रा)Ashwa Sanchalanasana (Equestrian Pose):- श्वास लें, अपने दाहिने पैर को अपने हाथों के बीच आगे की ओर ले जाएं, अपने बाएं घुटने को फर्श पर लाएं। ऊपर देखें ।
- हस्त पदासन (हाथ से पैर तक की मुद्रा)Hasta Padasana (Hand to Foot Pose):- साँस छोड़ें, अपने बाएँ पैर को अपने दाएँ पैर के पास आगे लाएँ। जहां तक संभव हो अपने पैरों को सीधा रखें और अपने सिर को आराम दें।
- हस्तउत्तनासन (उठाए हुए हथियार मुद्रा)Hastauttanasana (Raised Arms Pose):-श्वास लें, अपनी भुजाओं को बगल की ओर फैलाएं और उन्हें ऊपर उठाएं, अपनी पीठ को झुकाएं और ऊपर देखें।
इस योग के पूरे चक्र के लिए, शुरुआती पैर (दाहिना पैर आगे, फिर बायां पैर आगे) को बारी-बारी से दोहराते हुए इस क्रिया को दोहराएं। एक पूर्ण अभ्यास पूरा करने के लिए 10 से 12 राउंड का लक्ष्य रखें।
सूर्य नमस्कार योग करने से फायदे –
- शारीरिक स्वास्थ्य:- पूरे शरीर की कठोरता प्रदान करता है, शक्ति और लचीलेपन को बढ़ाता है।
- तनाव में कमी:– अभ्यास का ध्यान संबंधी पहलू मन को शांत करता है और तनावमुक्त करता है।
- मुद्रा में सुधार:– योग नियमित अभ्यास से मुद्रा को सही और बेहतर बनाया जा सकता है।
- वजन प्रबंधन:– यह वजन घटाने में सहायता करता है और metabolism को बढ़ाता है।
- बेहतर पाचन:- सूर्य नमस्कार पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जिससे पाचन बेहतर होता है।
- बेहतर परिसंचरण:- यह रक्त अनुसंधान को बढ़ाता है, जिससे हृदय और समग्र स्वास्थ्य को लाभ होता है।
- आध्यात्मिक संबंध:– सूर्य नमस्कार साधकों को सूर्य की ऊर्जा और जीवन शक्ति से जोड़ता है।
अगर आपको इस योग करने में कोई दिक्कत का सामना करना पढ़ रहा हो तो आप किसी अनुभवी योगगुरु से ट्रेनिंग ले सकते है।
स्पष्टीकरण
इन अविश्वसनीय लाभों का अनुभव करने के लिए सूर्य नमस्कार को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और अपने दिन की शुरुआत कृतज्ञता और ऊर्जा के साथ करें। अपने शरीर की सीमाओं का सम्मान करते हुए, और धीरे-धीरे अपनी गति से प्रगति करते हुए, ध्यानपूर्वक अभ्यास करना याद रखें। सूर्य नमस्कार की उज्ज्वल यात्रा का आनंद लें क्योंकि आप सूर्य को नमस्कार करते हैं और अपनी भलाई का पोषण करते हैं।
नमस्ते!
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